जीवन मंत्र
सबसे बड़ा दरिद्र

Updated on 13 December, 2019, 6:00
सिंहगढ़ राज्य की सीमा के पास एक गांव सोनपुर में एक महात्मा अपने दो शिष्यों के साथ आ पहुंचे। वहां की शांति और हरियाली देख कुछ दिन वे वहीं ठहर गए। एक दिन महात्मा जी जब भिक्षा मांगने जा रहे थे, सड़क पर एक सिक्का दिखा, जिसे उठाकर उन्होंने झोली... Read More
कर्म व्यर्थ नहीं होता

Updated on 12 December, 2019, 6:15
अक्सर लोग कर्म और भाग्य के बारें में चर्चा करतें वक्त अपनें - अपनें जीवन में घट़ित घट़नाओं के आधार पर निष्कर्ष निकालतें हैं,कोई कर्म को श्रेष्ठ मानता हैं,कोई भाग्य को ज़रूरी मानता हैं,तो कोई दोनों के अस्तित्व को आवश्यक मानता हैं.लेकिन क्या जीवन में दोनों का अस्तित्व ज़रूरी हैं... Read More
व्यवहार की दुनिया

Updated on 12 December, 2019, 6:00
बहुत बड़ा कवि था इमरसन। वह घूमने निकला। अकस्मात वर्षा आ गई। उसके पास अपनी कविताओं की एक पांडुलिपि थी। भीगने के डर से उसने वह पांडुलिपि एक दुकानदार के पास रख दी। इमरसन चला गया। दुकानदार ने कहा कि पन्ने भरे हुए हैं, कुछ खाली हैं वह भरे हुए... Read More
मन की तेज गति

Updated on 11 December, 2019, 6:00
नौका नदी के उस पार जा रही थी। अनेक व्यक्ति उस पर सवार थे। भार अधिक हो गया। नौका डगमगाने लगी। नाविक ने कहा - नौका डूब जाएगी। यदि सबको बचना है तो स्वयं को सुरक्षित रखते हुए अपना सारा सामान नदी में बहा दो, अन्यथा सामान के साथ-साथ प्राण... Read More
चैतन्य रहें

Updated on 10 December, 2019, 6:00
एक बार दो देवताओं में विवाद हो गया कि भाग्य बड़ा है या पुरूषार्थ? विवाद हर व्यक्ति के मन में पैदा होता है, चाहे मनुष्य हो, चाहे देवता हो। निश्चित हुआ, परीक्षा करें। एक देवता ने कहा- देखो! भाग्य बड़ा नहीं होता, पुरूषार्थ बड़ा होता है। दूसरे ने कहा- नहीं!... Read More
ज्ञान के रास्ते पर

Updated on 9 December, 2019, 6:00
गौतम बुद्ध के प्रवचन में एक व्यक्ति रोज आता था और बड़े ध्यान से उनकी बातें सुनता था। बुद्ध अपने प्रवचन में लोभ, मोह, द्वेष और अहंकार छोड़ने की बात करते थे। एक दिन वह व्यक्ति बुद्ध के पास आकर बोला- 'मैं लगभग एक महीने से आपके प्रवचन सुन रहा... Read More
ईश्वर का दोस्त

Updated on 8 December, 2019, 6:00
एक संत ने एक रात स्वप्न देखा कि उनके पास एक देवदूत आया है। देवदूत के हाथ में एक सूची थी। उसने कहा, 'यह उन लोगों की सूची है, जो प्रभु से प्रेम करते हैं।' संत ने कहा, 'मैं भी प्रभु से प्रेम करता हूं। मेरा नाम तो इसमें अवश्य... Read More
मन का प्रिय

Updated on 7 December, 2019, 6:15
एक प्रोफेसर अपने कमरे में बैठे थे। उनके पास एक व्यक्ति आकर बोला, 'धन्यवाद, आप जैसा परिश्रमी और योग्य प्रोफेसर मैंने नहीं देखा। आपके परिश्रम से ही मेरा लड़का उत्तीर्ण हो सका है। सौ-सौ साधुवाद!' इतने में दूसरा व्यक्ति आकर बोला, 'आप जैसा परिश्रम से जी चुराने वाला प्रोफेसर मैंने... Read More
मन को जगाएं

Updated on 6 December, 2019, 6:00
दूसरा महायुद्ध चल रहा था। भीषण बमवर्षा हो रही थी। पूरा लंदन नगर संत्रस्त था। सारे नगर में भय का साम्राज्य छाया हुआ था। पर उसी नगर में एक बूढ़ी महिला निश्चिंत रूप से सोती और निश्चिंत जागती। आस-पास के लोगों की नींद पूरी तरह गायब हो चुकी थी। वे... Read More
अपना दृष्टिकोण

Updated on 5 December, 2019, 6:00
एक कन्या ने अपने पिता से कहा, 'मैं किसी पुरातत्वविद् से विवाह करना चाहती हूं।' पिता ने पूछा, 'क्यों?' कन्या बोली, 'पिताजी! पुरातत्वविद् ही एक ऍसा व्यक्ति होता है जो पुरानी चीजों को ज्यादा मूल्य देता है। मैं भी ज्यों-ज्यों पुरानी होती जाऊंगी, बूढ़ी होती जाऊंगी, मेरा मूल्य भी... Read More
अनुभव का लाभ

Updated on 4 December, 2019, 6:00
एक विदेशी राजा ने भारत पर आप्रमण करना चाहा। उसने सोचा कि आप्रमण से पूर्व यह जान लेना चाहिए कि उस राजा के पास कोई बुद्धिमान व्यक्ति है या नहीं? उस राजा ने सुरमे की एक डिबिया देकर एक दूत भेजा। उस डिबिया में दो आंखों में ही लगाने लायक... Read More
गुरु का पाठ

Updated on 3 December, 2019, 6:00
गंगा के किनारे बने एक आश्रम में महर्षि मुद्गल अपने अनेक शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। उन दिनों वहां मात्र दो शिष्य अध्ययन कर रहे थे। दोनों काफी परिश्रमी थे। वे गुरु का बहुत आदर करते थे। महर्षि उनके प्रति समान रूप से स्नेह रखते थे। आखिर वह... Read More
प्रतिभा की पहचान

Updated on 2 December, 2019, 6:00
यूनान के किसी गांव का एक लड़का लकड़ियां काटकर गुजारा करता था। वह दिन भर जंगल में लकड़ियां काटता और शाम को पास के शहर के बाजार में उन्हें बेच देता था। एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था। उसकी नजर बालक के गट्ठर पर पड़ी जो... Read More
विनम्रता का पाठ
Updated on 1 December, 2019, 6:00
पंडित विद्याभूषण बहुत बड़े विद्वान थे। दूर-दूर तक उनकी चर्चा होती थी। उनके पड़ोस में एक अशिक्षित व्यक्ति रहते थे-रामसेवक। वे अत्यंत सज्जन थे और लोगों की खूब मदद किया करते थे। पंडित जी रामसेवक को ज्यादा महत्व नहीं देते थे और उनसे दूर ही रहते थे। एक दिन पंडित... Read More
सबसे बड़ी दौलत

Updated on 30 November, 2019, 6:00
एक विधवा अध्यापिका के दो बेटे थे। वह उन्हें गुरुकुल में अच्छी शिक्षा दिला रही थी। वह खुद भी अनेक बच्चों को संस्कृत पढ़ाती थी। इससे उसे जो कुछ प्राप्त होता था, उसी से वह अपना जीवनयापन करती थी। उसने अत्यंत गरीबी के दिनों में भी कभी किसी के आगे... Read More
राजा का खजाना

Updated on 28 November, 2019, 6:00
फारस के शासक साइरस अपनी प्रजा की भलाई में जुटे रहते थे। लेकिन खुद उनका जीवन सादगी से भरा था। वह रियासत की सारी आमदनी व्यापार, उद्योग और खेतीबाड़ी में लगा देते थे। इस कारण शाही खजाना हल्का रहता था। लेकिन प्रजा खुशहाल थी। एक दिन साइरस के दोस्त और... Read More
संत की सीख

Updated on 27 November, 2019, 6:00
एक धनी सेठ ने एक संत के पास आकर उनसे प्रार्थना की, 'महाराज, मैं आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए साधना करता हूं पर मेरा मन एकाग्र ही नहीं हो पाता है। आप मुझे मन को एकाग्र करने का कोई मंत्र बताएं।' सेठ की बात सुनकर संत बोले, 'मैं कल तुम्हारे... Read More
भावना भी समझें

Updated on 26 November, 2019, 6:00
एक आदमी बस में रोजाना ही यात्रा करता था। वह बस में केले खाता और छिलके को खिड़की से फेंक देता। एक दिन एक भाई ने कहा, 'भाई! सड़क पर छिलके डालना उचित नहीं है। दूसरे फिसलकर गिर पड़ते हैं। छिलकों को एक ओर डालना चाहिए।' उसने कहा, 'अच्छी बात... Read More
ईश्वर का स्वरूप क्या है?

Updated on 25 November, 2019, 6:00
पहले अपने स्वरूप को जानों
एक महात्मा से किसी ने पूछा- 'ईश्वर का स्वरूप क्या है?'
महात्मा ने उसी से पूछ दिया-'तुम अपना स्वरूप जानते हो?'
वह बोला- 'नहीं जानता।'
तब महात्मा ने कहा- 'अपने स्वरूप को जानते नहीं जो साढ़े तीन हाथ के शरीर में 'मैं-मैं कर रहा है... Read More
बद्धजीव का कर्मक्षेत्र

Updated on 24 November, 2019, 6:00
अर्जुन प्रकृति, पुरुष, क्षेत्र, क्षेत्रज्ञ, ज्ञान तथा ज्ञेय के विषय में जानने का इच्छुक था। जब उसने इनके विषय में पूछा तो कृष्ण ने कहा कि यह शरीर क्षेत्र कहलाता है और इस शरीर को जानने वाला क्षेत्रज्ञ है। यह शरीर बद्धजीव के लिए कर्म-क्षेत्र है। बद्धजीव इस संसार में... Read More
अहिंसा का स्वरूप

Updated on 23 November, 2019, 6:00
सामान्यत: अहिंसा को निषेधार्थक माना जाता है। ‘न हिंसा -अहिंसा’- हिंसा का अभाव अहिंसा है, यह इसकी एकांगी परिभाषा है। इसको सर्वागीण रूप से परिभाषित करने के लिए इसके विधेयार्थ और निषेधार्थ दोनों को समझना जरूरी है। किसी प्राणी के प्राणों का वियोजन नहीं करना, इस सूत्र का हिंसा के... Read More
उपाय भी ठीक हो

Updated on 22 November, 2019, 6:00
उपाय सम्यप् होना चाहिए। उपाय का बड़ा महत्व होता है। जहां समस्या आती है, आदमी उपाय खोजता है। समाधान तब तक नहीं होता, जब तक उपाय नहीं मिल जाए। उपाय स्वयं भी खोजा जा सकता है और उपाय खोजने के लिए गुरू की शरण या उस विषय को जानने वाले... Read More
सेवाभाव ही सर्वोपरि

Updated on 21 November, 2019, 6:00
एकनाथ देवगढ़ राज्य के दीवान जनार्दन स्वामी के शिष्य। एक बार गुरू देव ने एकनाथ को राजदरबार का हिसाब करने को कहा। एकनाथ बहि-खाता लेकर हिसाब करने बैठ गये। दूसरे ही दिन सुबह हिसाब राजदरबार में देना था। सारा दिन हिसाब लिखने और करने में बीत गया। दिन में बैठे... Read More
कुसंग का फल

Updated on 20 November, 2019, 6:00
प्रतिदिन कुछ बगुले आकर एक किसान के खेत की फसल बर्बाद कर जाया करते थे। इसे देखकर किसान ने उन बगुलों को पकड़ने के लिए खेत में जाल बिछा कर रख दिया। बाद में उसने जाकर देखा तो बहुत से बगुले उसके जाल में फंसे हुए थे और उनके साथ... Read More
मूल्य भावना का

Updated on 19 November, 2019, 6:00
भगवान बुद्ध जेतवन में ठहरे हुए थे। हर सुबह वह भिक्षावृत्ति को निकलते तो उन्हें मार्ग में एक किसान अपने खेत में काम करता मिलता। अपने कार्य के प्रति उसकी निष्ठा देख बुद्ध के मन में उसके लिए करुणा उमड़ी। वह प्रतिदिन वहां रुककर उस किसान को कुछ उपदेश देने... Read More
आहार का असर

Updated on 18 November, 2019, 6:00
आदमी बीमार हो गया। रक्त चढ़ाने की जरूरत हुई। डॉक्टर रक्त चढ़ाता है, तो पहले वह ग्रुप मिलाता है। किस ग्रुप का रक्त है? ठीक मिलेगा या नहीं? सेठ को रक्त चढ़ाना था- एक कंजूस आदमी का रक्त ठीक मिला, चढ़ाया गया। सेठ को पता चला कि उसको कंजूस का... Read More
समता की अनुभूति

Updated on 17 November, 2019, 6:00
मनोबल के विकास का दूसरा सूत्र बताया गया है- स्व दर्शन समता का दर्शन या परमात्मा का दर्शन। प्रांस की यूनिवर्सिटी का एक प्रोफेसर अहंकार में आकर बोला, 'मैं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ आदमी हूं।' किसी ने पूछ लिया-यह कैसे? उसने कहा, 'प्रांस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश है। पेरिस प्रांस का... Read More
चैतन्यता जरूरी

Updated on 16 November, 2019, 6:00
स्मृति और विस्मृति दोनों संतुलन अपेक्षित हैं। कुछेक व्यक्तियों में विस्मृति की बड़ी मात्रा होती है। वह हमारी चेतना की स्थिति को बहुत स्पष्ट करता है। एक व्यंग्य है। दो बहनें मिलीं। एक स्त्री ने कहा, मेरा पति बहुत भुलक्कड़ है। एक दिन बाजार में गया सब्जी लाने के लिए।... Read More
उपाय भी ठीक से हो

Updated on 15 November, 2019, 6:00
एक सास ने बहू से कहा, 'बहूरानी! मैं अभी बाहर जा रही हूं। एक बात का ध्यान रहे, घर में अंधेरा न घुसने पाए। बहू बहुत भोली थी। सास चली गई, सांझ होने को आई। उसने सोचा कि अंधेरा कहीं घुस न जाए, सारे दरवाजे बंद कर दिए। सब खिड़कियां... Read More
सफलता का मार्ग

Updated on 14 November, 2019, 6:00
संग्रह की वृत्ति बहिमरुखता का लक्षण है। साधक क्षणजीवी होता है। अतीत की स्मृति और भविष्य की चिंता वह करता है जो आत्मस्थ नहीं होता। वर्तमान में जीना आत्मस्थता का प्रतीक है। एक साधक कल की जरूरत को ध्यान में रखकर संग्रह नहीं करता, पर एक व्यवसायी सात पीढ़ियों के... Read More
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