कठपुतलियों से पढ़ाते हैं बच्चों को, उदास क्लासरूम में भर रहे उमंग

भोपाल। स्कूलों में छात्रों को बहुत से शिक्षक पढ़ाते हैं, लेकिन खेल-खेल में मनोरंजन के साथ उन्हें पढ़ाने का काम विरले शिक्षक ही कर पाते हैं। उनमें से ही राजधानी के एक शिक्षक हैं धीरेंद्र सिंह तोमर। तोमर कठपुतलियों का प्रयोग कर प्राइमरी क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं। उनकी यह तकनीक इतनी कारगर है कि जो छात्र स्कूल आने में कतराते हैं, वे भी उनकी कक्षा में पढ़ने पहुंच जाते हैं।
तोमर पिछले कई सालों से कठपुतलियों के जरिए छात्रों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षा में इस नवाचार के लिए उन्हें 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मान भी मिल चुका है। वर्तमान में तोमर शहर के राजाभोज स्कूल में शिक्षक हैं। तोमर ने बताया कि छात्र जब किताबों से पढ़ना पसंद नहीं करते या उन्हें समझने में परेशानी होती है, तब वे उन्हें कठपुतली का उपयोग कर पढ़ाते हैं।
डजिटल प्रयोग में भी आगे, खोजते हैं नए-नए तरीके
तोमर विद्यार्थियों की डिजिटल क्लास भी लेते हैं। वे इंफार्मेशन, कम्युनिकेशन, टेक्नोलाजी (आईसीटी) के माध्यम से भी विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। छात्रों को आसान तरीके से इंग्लिश कैसे सिखाई जाए, वे इसके लिए नए-नए तरीके
खोजते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हिंदी मीडियम के विद्यार्थियों को आसानी से इंग्लिश समझ में आए और वे उसका व्यवहारिक जीवन में प्रयोग कर सकें, इसके लिए भी वे लगातार कक्षाएं लेते रहते हैं।
रुचिकर तरीके के कारण कठिन सवालों का भी हल आसानी से समझ जाते हैं बच्चे
तोमर कहते हैं कि एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग से बच्चे जल्दी सीखते हैं। कई बार वे किताबें पढ़ना पसंद नहीं करते। लेकिन उन्हें मनोरंजक ढंग से पढ़ाया जाए तो वे कठिन सवालों का हल भी आसानी से जान जाते हैं और उन्हें पढ़ाई में मजा भी आने लगता है। इसलिए वे ऐसी शिक्षा पर जोर देते हैं, जिसमें छात्रों की भी सक्रिय भागीदारी हो और उन्हें पढ़ाई बोझ न लगे।
ये टीचर ई-लर्निंग से बच्चों को सीखा रहीं पर्यावरण का पाठ
राजधानी के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्टेशन एरिया में पदस्थ शिक्षिका कुदसिया खान पिछले तीन साल से विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग कर रही हैं। खास कर उन विषयों को पढ़ाने में जिन्हें विद्यार्थी समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। वे ई-लर्निंग के माध्यम से विद्यार्थियों को विभिन्न विषय पढ़ाती हैं, ताकि उन्हें आसानी से समझ आ सके।
कुदसिया खान विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के लिए एनिमेशन, फोटो आदि का प्रयोग करती हैं। इसके लिए वे प्रेजेंटेशन तैयार करती हैं और प्रोजक्टर पर छात्रों को पढ़ाती हैं। इस दौरान छात्रों को कॉपी-पेन का उपयोग करने की जरूरत नहीं होती। उन्हें प्रेजेंटेशन देखकर ही कठिन विषय आसानी से समझ में आ जाते हैं। मुख्य रूप से 9वीं व 10वीं के विद्यार्थियों के लिए विज्ञान के ऐसे कई प्रेजेंटेशन तैयार किए गए हैं।
शिक्षकों को भी देती हैं ट्रेनिंग
कुदसिया खान विद्यार्थियों के लिए पर्यावरण संरक्षण संबंधी ई-लर्निंग के अलावा अन्य सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी इंफार्मेशन, कम्युनिकेशन एंड टेक्नोलॉजी (आईसीटी) की ट्रेनिंग देती हैं।