Panchayat 3 हंसी-इमोशंस के साथ-साथ दबंगई से भरी, देखकर आ जाएगा मजा

मुंबई

'पंचायत' के सीजन 2 में शुरू हुई प्रधानजी और विधायक की जंग, सीजन 3 में भी जारी है. चुनाव सिर पर है और विधायक ने प्रधानजी और मंजू देवी समेत फुलेरा वासियों की नाक में दम कर रखा है. उसका साथ दे रहा है फुलेरा का भेदी भूषण शर्मा उर्फ बनराकस. दूसरी तरफ विधायक के गुस्से का प्रकोप झेल चुके अभिषेक त्रिपाठी उर्फ सचिव जी अब अपनी कुर्सी लगभग खो ही चुके हैं. क्या फुलेरा वासियों के लिए कहीं से कोई नई उम्मीद आएगी?

'पंचायत 3' की शुरुआत सचिव जी के शहर में सुट्टा फूंकने से होती है. सचिव जी अपने साथ हुए कांड के बाद फुलेरा से दूर वापस शहर में जा बसे हैं. वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन साथ ही फुलेरा की पल-पल की खबर भी पा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रधानजी, मंजू देवी और विकास मिलकर नए सचिव का अनोखा स्वागत करने की तैयारी में हैं. इस सबके बीच प्रह्लाद के हाल चिंताजनक हैं. बेटे के गम में प्रह्लाद की हालत बद से बदतर हो गई है. अब उनका ज्यादातर वक्त नशे में जाता है. दुनिया और लोगों से उन्हें कोई लगाव नहीं रहा. तो वहीं रिंकी के मन में सचिव जी के प्यार का कमल खिल उठा है.

इन सभी पर नजर है बनराकस की, जो विधायक के साथ मिलकर गर्दा उड़ाने की तैयारी में है और वो विधायक, फुलेरा के लोगों का मुंह देखने और उनका नाम सुनने को भी तैयार नहीं है. लेकिन मौका मिलने पर उनके पीछे हाथ-पैर धोकर पड़ने की फिराक में वो जरूर बैठा है. इस सबके बीच और भी बहुत कुछ फुलेरा गांव में होना है. पंचायत 3 में इस बार मस्ती और कॉमेडी के साथ-साथ खूब राजनीति भी है. तो वहीं आपको एक्शन और ट्विस्ट भी देखने मिलेगा. इमोशंस की भी कोई कमी मेकर्स ने इस नए सीजन में नहीं छोड़ी है.

परफॉरमेंस

परफॉरमेंस के बारे में जितेंद्र कुमार से शुरुआत करते हैं. अपने रोल को वो शुरुआत से ही बखूबी निभाते आए हैं और इस बार भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी है. प्रधानजी और मंजू देवी के किरदार में रघुबीर यादव और नीना गुप्ता कमाल है. दोनों की अपनी अलग परफॉरमेंस तो बढ़िया है ही, साथ ही उनके बीच होने वाली नोकझोंक और लड़ाई को देखना भी काफी मजेदार है. चंदन रॉय ने भी विकास के किरदार को एकदम कस के पकड़े रखा है. प्रह्लाद इस सीजन का वो किरदार है, जो आपकी आंखें नम करता है. फैजल खान ने अपने किरदार के इमोशंस और पर्सनैलिटी में आए बदलाव को लाजवाब तरीके से पर्दे पर उतारा है.

भूषण शर्मा उर्फ बनराकस के रोल में दुर्गेश सिंह को देखकर आपको गुस्सा आता है और खिसियाहट होती है. यही बताता है कि एक्टर का काम इतना अच्छा है. बिनोद (अशोक पाठक) हमेशा की तरह मजेदार हैं और क्रांति देवी ( सुनीता राजवार) मौका परस्त. विधायक हमेशा की तरह दुष्ट ही है, जिसे देखकर आपका मन उसे कंटाप लगाने का करता है, जिसका मतलब है कि एक्टर पंकज झा ने अपना रोल बढ़िया अंदाज में निभाया है. रिंकी के रोल में एक्ट्रेस सांविका थोड़ी इरिटेटिंग मगर अच्छी हैं.

डायरेक्टर

इतनी बड़ी कास्ट को संभालना, सभी को भरपूर स्क्रीन टाइम देना और पर्दे पर हमेशा अलग और फिर भी पुराने जैसे मजेदार अंदाज में किसी भी सीरीज को परोसना आसान नहीं होता है. लेकिन फिल्म मेकर दीपक कुमार मिश्रा ने यह कर दिखाया है. चंदन कुमार की राइटिंग के साथ उन्होंने न्याय किया और इसमें अमिताभ सिंह की सिनेमेटोग्राफी ने उनका भरपूर साथ दिया. इस सीरीज के ट्विस्ट काफी बेहतरीन हैं. नए पुराने किरदारों को इसमें देखना हमेशा की तरह मजेदार है. इसे देखते हुए आप हंसते हैं, रोते हैं, गुस्सा होते हैं और कई पलों में आपकी दिल की धड़कनें बढ़ने भी लगती हैं. सीरीज का म्यूजिक इसका मजा और बढ़ाता है. कुल-मिलाकर फुलेरा गांव की ये कहानी आपका एक बार फिर भरपूर मनोरंजन करेगी.

 

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