आदमखोर बाघ का 11 दिन बाद किया रेस्क्यू, 4 महीने से 36 गांवों में थी दहशत

रायसेन
मध्य प्रदेश के रायसेन (Raisen) में तीन टाइगर रिजर्व की टीमें 10 दिन से आदमखोर रॉयल अर्बन टाइगर (Royal urban tiger) को पकड़ने के लिए रेस्क्यू में जुटी थीं. टाइगर को पकड़ने के लिए 5 हाथियों के साथ 150 जवान लगाए गए थे. इस बाघ ने एक शख्स की जान ले ली थी, जिसके बाद से 36 गांवों के लोग दहशत में थे. अब 11वें दिन रायसेन में वन विभाग ने रॉयल अर्बन टाइगर को पकड़ लिया है.

बीते चार महीने से रायसेन जिला मुख्यालय सहित आसपास के 36 गांवों में टाइगर की मूवमेंट के कारण दहशत फैली हुई थी. बीते 10 दिन से रायसेन के रातापानी टाइगर रिजर्व सहित कान्हा टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की 150 जवानों की टीम 5 हाथियों के दल के साथ लगी थी.

टाइगर का रेस्क्यू करने के लिए तपती गर्मी में जंगल में दर्जनों जवान कड़ी मेहनत से जुटे थे. आदमखोर बाघ को वन विभाग ने गुरुवार की दोपहर करीब 2:30 बजे पकड़ लिया है.डीएफओ से लेकर एसडीओ और रेंजर रेस्क्यू में लगे रहे.

सूरई के जंगल में मिली थी टाइगर की मूवमेंट

गुरुवार को बाघ का मूवमेंट रायसेन शहर के पास स्थित सूरई के जंगल में पता चला. इसके बाद टीमें पहुंचीं और बाघ को घेरकर दो इंजेक्शन से दो घंटे में बेहोश किया और रेस्क्यू को अंजाम दिया. एक महीने पहले नीमखेड़ा के रहने वाले मनीराम जाटव नाम के व्यक्ति को इसी बाघ ने अटैक कर दिया था, जिससे मनीराम की मौत हो गई थी. करीब 6 महीने से बाघ शहर के आसपास के जंगल में डेरा डाले हुए था. जैसे ही बाघ के पकड़े जाने की खबर मिली तो जिले में लोगों ने राहत की सांस ली.

डीएफओ बोले- रेस्क्यू के बाद भी घने जंगलों में सतर्कता से जाएं

डीएफओ विजय कुमार ने टाइगर का रेस्क्यू होने के बाद भी लोगों से घने जंगलों में सतर्कता से जाने की अपील की है, क्योंकि रायसेन जिले में अब भी 70 से ज्यादा बाघ रातापानी और रायसेन के आसपास के जंगलों में मौजूद हैं, लेकिन रायसेन शहर सहित आसपास के 36 गांवों में खौफ का पर्याय बन चुके इस टाइगर को अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में कॉलर आईडी पहना कर छोड़ा जाएगा.

 

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