प्रदेश में चल रहे गैरकानूनी मदरसों से बच्चों को शिफ्ट करेगी सरकार, जांच के दायरे में सिलेबस और फंडिंग

भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार गैरकानूनी रूप से चल रहे मदरसों पर नकेल कसती नजर आ रही है। इस सिलसिले में जिला कलेक्टरों को प्रदेश के सभी मदरसों का सत्यापन करने के लिए कहा जा सकता है। इससे गैरकानूनी मदरसों की पहचान की जा सकेगी। यही नहीं उनके छात्रों को सरकारी स्कूलों या पंजीकृत मदरसों में शिफ्ट किया जा सकता है।

स्कूल शिक्षा विभाग चाहता है कि कलेक्टर सर्वेक्षण करें ताकि छात्रों के स्थानांतरण के लिए एक योजना बनाई जा सके। अभियान की निगरानी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस लेकर कहा कि अगर कोई छात्र सरकारी स्कूलों या पंजीकृत मदरसों में पढ़ने के साथ-साथ अपंजीकृत मदरसे में भी पढ़ना चाहता है, तो सरकार को कोई समस्या नहीं होगी।
2,650 पंजीकृत मदरसे

मदरसों का पंजीकरण मध्य प्रदेश में अनिवार्य नहीं है। पिछले साल राज्य में लगभग 2,650 पंजीकृत मदरसे थे। एक अधिकारी ने बताया कि इनमें से प्रत्येक को राज्य से 25,000 रुपये का वार्षिक अनुदान मिलता है। वहीं प्रशासन का मानना है कि राज्य में 500 से अधिक गैरकानूनी मदरसे भी चल रहे हैं। उनके पास कई फंडिंग सोर्स हो सकते हैं। ये सोर्स मैपिंग शुरू होने के बाद जांच के दायरे में आ जाएंगे।
मदरसों की होगी मैपिंग

स्कूल विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह चिंता का विषय है। सरकार को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि राज्य में कितने मदरसे हैं। उनमें कितने छात्र हैं। अपंजीकृत मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है और उन्हें कैसे फंडिंग दी जा रही है। इसलिए उन्हें मैप करने की आवश्यकता है।
नामांकित छात्रों का होगा सत्यापन

एक अधिकारी ने कहा कि भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे का शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। सरकार को यह जानने की जरूरत है कि अपंजीकृत मदरसों में बच्चों को क्या पढ़ाया जाता है। 16 अगस्त को सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की संस्तुति पर एक आदेश जारी किया। जिसमें सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले मदरसों में नामांकित छात्रों का सत्यापन करने का आदेश दिया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि माता-पिता या अभिभावकों की सहमति के बिना उन्हें धार्मिक शिक्षा न दी जाए।
गैरकानूनी मदरसों पर सरकार सख्त

पिछले सप्ताह स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने मीडियाकर्मियों को बताया कि फरवरी-मार्च में मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने की शिकायतें मिली थीं। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनके माता-पिता की सहमति और उनकी इच्छा के बिना दूसरे धर्मों की शिक्षा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान 56 मदरसे ऐसे भी पाए गए जो सरकारी अनुदान लेने के लिए केवल कागजों पर चल रहे थे। आदेश में कहा गया है कि अगर कोई मदरसा फर्जी तरीके से छात्रों का पंजीकरण करता पाया जाता है, तो उसका अनुदान रोक दिया जाएगा। मान्यता रद्द कर दी जाएगी और उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व सीएम शिवराज दे चुके आदेश

पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध मदरसों और कट्टरता सिखाने वाले संस्थानों की समीक्षा का आदेश दिया था। मदरसों का सर्वेक्षण करने, अपंजीकृत मदरसों की सूची बनाने तथा वहां क्या पढ़ाया जा रहा है। इसकी जांच करने के लिए एक योजना तैयार की गई।

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