अयोध्या : मिल्कीपुर सीट के लिए भाजपा प्रत्याशी का ऐलान, कौन हैं चंद्रभान पासवान
अयोध्या
बीजेपी ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। 5 फरवरी, 2025 को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इससे पहले समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया था।
मुस्लिम वोटों की संख्या 30,000 के आसपास
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 1.2 लाख दलित वोटर हैं, जिनमें से अधिकांश वोट पासी समाज के लोगों का हैं। पासी समाज से ही पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद आते हैं। इसके अलावा, यहां ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य सवर्ण वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। मुस्लिम वोटों की संख्या 30,000 के आसपास है।
सीधी टक्कर बीजेपी और सपा के बीच
मिल्कीपुर सीट पर पिछले तीन दशकों में बीजेपी, बसपा, सपा और कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की है। हालांकि, पिछले 10 विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में सपा ने 6 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। बीजेपी ने यहां 2017 और 1991 में जीत हासिल की थी, जबकि बसपा ने 2007 में इस सीट पर विजय प्राप्त की थी। अब यहां सीधी टक्कर बीजेपी और सपा के बीच हो रही है। 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाबा गोरखनाथ ने 28,000 वोटों के अंतर से अवधेश प्रसाद को हराया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद को 13,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वह फिर से टिकट पाने के लिए मैदान में हैं।
BJP ने चुनावी रणनीति में जुटाई पूरी ताकत
भा.ज.पा. इस उपचुनाव को बेहद महत्वपूर्ण मानते हुए अपनी पूरी ताकत झोंकने की योजना बना रही है। यह चुनाव पार्टी के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि उसे फैज़ाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का बदला इस सीट से लेना है। भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए 6 मंत्रियों को सक्रिय किया है, ताकि इस उपचुनाव में जीत हासिल की जा सके।
मिल्कीपुर की सियासी लड़ाई पर सबकी नजरें
मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी का गठबंधन और वोट बैंक ज्यादा प्रभावी साबित होता है।मिल्कीपुर उपचुनाव न सिर्फ इस क्षेत्र के लिए, बल्कि प्रदेश और देश की सियासत के लिए भी महत्वपूर्ण है। सभी की निगाहें इस चुनाव परिणाम पर हैं, जो यह तय करेगा कि इस सीट पर किस पार्टी की पकड़