बालाघाट परिक्षेत्र में बाघ का शव मिलने पर विभाग एक्शन में
भोपाल
बालाघाट परिक्षेत्र में एक बाघ के मरने और शरीर के कुछ अवशेष गायब होने के मामले को लेकर वाइल्ड लाइफ ने कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन क्षेत्र से इस मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। वाइल्ड लाइफ शाखा के पीसीसीएफ अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि बाघ का मरना बहुत ही ज्यादा दु:खद है। संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ वाइल्ड लाइफ शाखा सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सातों टाइगर रिजर्व क्षेत्र में रहने वाले बाघों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विभाग पुख्ता इंतजाम करेगा। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अगर जरूरत पड़ी तो रेंजर्स और संबंधित स्टाफ की नियुक्ति भी की जाएगी। बाघों का सरंक्षण करना वाइल्ड लाइफ शाखा की पहली प्राथमिकता है। बालाघाट में मरने वाले बाघ की उम्र दो से तीन वर्ष बताई जा रही है। मृतक बाघ के शरीर के अवशेष गायब होने से वन अमला भी यह मानकर चल रहा है कि शिकारियों ने इस बाघ को अपना शिकार बनाया है। इससे पहले टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अधिकांश बाघों की मौत टेरेटरी के चलते होती थी। गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में दो महीने के अंदर 7 बाघों की मौत हुई थी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघों की मौत के पीछे वर्ग संघर्ष बताकर पल्ला झाड़ लिया था। लेकिन अब वाइल्ड लाइफ शाखा की जिम्मेदारी अतुल श्रीवास्तव के पास आने से यह माना जा रहा है कि बाघों की मौत को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्शन मोड में है।
सुरक्षा व्यवस्था से कोई समझौता नहीं
वन्य प्राणी शाखा के मुख्य अधिकारी अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि टाइगरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर वन विभाग किसी तरह के समझौते के मूृड में नहीं है। टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अलावा प्रदेश के अन्य अभ्यारण्यों में रहने वाले बाघों की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए वाइल्ड लाइफ शाखा रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। इस मामले में विशेषज्ञों से सलाह भी लिया जाएगा और उसे धरातल पर उतारा भी जाएगा। गौरतलब है कि 35 फीसदी बाघ आज भी डीम्ड एरिया में विचरण करते है। बाघों के मौत के आंकड़ों को अगर सही मायने में कम करना है तो विभाग को नए टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने ही होंगे।