क्या आपका बच्चा भी नही बैठ पाता डीप स्क्वाट- उकड़ू पोजिशन में

बढ़ती हुई पश्चात (वेस्टर्न) जीवन शैली बड़ो के साथ साथ बच्चों के लिए भी शरीरिक समस्याओं को पैदा कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में देखा जा रहा है 3 साल की उम्र से 17 वर्ष के बच्चों को ऐड़ी, घुटने, क़मर, गर्दन के दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है। फिजियोथैरेपिस्ट की माने तो कही न कहीं वेस्टर्न टॉयलेट (कमोड) का इस्तेमाल बड़ा कारण दिख रहा है, बच्चों को इंडियन स्टाइल टॉयलेट (सीट)  का इस्तेमाल कम हो रहा है।

बच्चों की कुर्सियों पर बहुत ज़्यादा निर्भरता और आउट डोर एक्टिविटी (खेलना-कूदना) की कमी व लंबे समय तक एक जगह बैठे रहने के कारण ऐड़ी (ऐंकल) के आस पास के टेंडन व मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं। जिससे उपयुक्त लचीलापन कम हो जाता है, और शरीर के अन्य जोड़ों को भी प्रभावित करता है। जमीन पर उकड़ू न बैठने के कारण शरीर की मोवेलिटी-फ्लेक्सिबिलिटी को कम हो रही है, जब बच्चा मलासन (डीप स्क्वाट) पोजिशन में बैठता है, तो शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव, स्ट्रेचिंग होती है जो शरीर को अति आवश्यक है।

"चूँकि मानव शरीर में पैरों (पंजो) का महत्वपूर्ण योगदान होता है शरीर को मोवेलिटी व संतुलन बनाए रखने में" डीप स्क्वाट पॉस्चर सबसे आवश्यक और मौलिक मानवीय मुद्राओं (पॉस्चर) में से एक है। 2 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों को इन पाँच कामों (एक्टिविटी) पर ध्यान देना चाहिए।

1 क्या आपका बच्चा वेस्टर्न (कमोड) टॉयलेट उपयोग करता है ?
2 क्या आपका बच्चा इंडियन (सीट) टॉयलेट जाने से मना करता है ?
3 क्या आपका बच्चा फुल स्क्वाट (मलासन) पर बैठ सकता 2 से 5 मिनिट तक ?
4 आपके बच्चे की डिजिटल स्क्रीन (मोबाइल-लेपटॉप) टाइम स्पेंड कितना है रोज़ ?
5 आपके बच्चे का आउटडोर (खेल-कुंद) एक्टिविटी समय कितना है ?

फुल या डीप स्क्वाट को इस तरीक़े से किया जाता है घुटने पूरी तरह से मुड़े हुए होते हैं, और जांघ का पिछला हिस्सा पिंडली की मांसपेशियों के सहारे टिका होता है, जबकि एड़ियाँ ज़मीन पर सपाट रहती हैं। डीप स्क्वाट एक ऐसी स्थिति है जिसका उपयोग कई बच्चे खेलते समय भी करते हैं।

डीप स्क्वाट (उंखड़ू) बैठना कई कारणों से बहुत बढ़िया है जैसे-
1. कूल्हे, घुटने और टखने की पूरी गतिशीलता बनाए रखने में मदद करता है।
2. डीप स्क्वाट पोजीशन मेंटेन करने से कोर (मसल्स) का संतुलन बना रहता है।
3. ग्राउण्ड में खेलने, कूदने,दौड़ने में मदद मिलती है।
4. शौच में बैठने के लिए सबसे अच्छी स्थिति (मुद्रा) माना जाता है, न केवल बच्चों के लिए बल्कि वयस्कों के लिए भी।
5. ऐसा माना जाता है कि इस पोजीशन को करने से मांसपेशियों पर सही मात्रा में दबाव डालता है जिससे शौच आसानी से हो सके।

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे इस पोजीशन में उतना नहीं बैठते न ही खेलते हैं, अपने बच्चों को फिर से डीप स्क्वाट करने के लिए प्रोत्साहित करें, और आप खुद को भी इसे आजमाने के लिए प्रयास करें।

अपने बच्चे के खेलने और रोज़मर्रा की गतिविधियों के दौरान उसकी दिनचर्या में शुरुआत में ही डीप स्क्वैट्स को शामिल करना काफी आसान है। बच्चे आमतौर पर 10 से 12 महीने की उम्र में चलना आरम्भ करते हैं, जो उनके पहले जन्मदिन के आसपास होता है। अपने चलने के अभियान की शुरुआत में, उनके पैर काफी लड़खड़ाते हैं, इसलिए इस दौरान बैठना नहीं होगा। जैसे-जैसे बच्चा बेहतर संतुलन के साथ चलना सीखता है, वह संभवतः 13 से 18 महीने की उम्र के आसपास बैठना आरंभ कर देता है। कूल्हों को मोड़कर बैठना एवं शौचालय का उपयोग करने के लिए उकड़ू बैठना बेहतर है, हालांकि कुछ शोध बताते हैं कि यह केवल 3 से 5 मिनिट उकड़ू बैठने से भी बेहतर हो सकता है।

आजकल बच्चों को अनेक प्रकार की समस्या हो रहीं हैं जैसे-

  • बच्चों में फ्लैट फुट, नॉक नी, टेंडम वॉक, क़मर दर्द, रनिंग-दौड़ने आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • बच्चों के डीप स्क्वाट (उकड़ू) न बैठ पाने से शरीर के ज्वाइंट्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है, पैरों के पंजों 52 हड्डियां, 66 जोड़ और लगभग 200 से भी ज्यादा मांसपेशियां, टेंडन एवं लिगामेंट होते हैं, जो कि हमें किसी भी प्रकार की सतह पर सन्तुलन बनाने एवं एक्टिविटी (गति) प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • डीप स्क्वाट पॉस्चर से पाचन में सुधार डाइजेशन (मेटाबॉलिज्म) अच्छा होता है, उकड़ू बैठने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप के काम करता है।

डीप स्क्वाट बैठने का तरीका

  • समतल जगह पर खड़े हो जाएं, और अपनी टांगों को एक दूसरे से दूर करें अब डीप स्क्वाट की पोजीशन में आए जिसके लिए अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ें और अपने हिप्स को जमीन की ओर लेकर जाएं।
  • अब अपने हाथों को घुटनों के नीचे से ऊपर की ओर निकालने और दोनों हाथों को जोड़ें और नमस्ते पोज़ बनाएं अपनी बाजुओं को जांघों की तरफ प्रेस करते रहें ध्यान रहे रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, अपने हिप्स को जमीन की ओर ही रखें और अपने कंधों को अपने कानों से दूर रखें लंबी-लंबी सांसे लें और अपने आप को इस पोजीशन में रखें अब 2 से 3 मिनट इस तरह पोजिशन को मेंटेन करें इसके के बाद अपनी सामान्य पोजिशन में आ जाएं।

 

Related Articles

Back to top button