प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त विजय यादव ने ली शपथ: राज्यपाल ने तीन सूचना आयुक्त को भी दिलाई शपथ, CM डॉ. मोहन यादव रहे मौजूद

भोपाल
 पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक विजय यादव मप्र के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) बन गए हैं। मंगलवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ-साथ सूचना आयुक्त के रूप में उमाशंकर पचौरी (शिक्षाविद्), वंदना गांधी (समाजसेवी) एवं ओमकार नाथ (सेवानिवृत्त जज) ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद रहे।

लंबे समय से रिक्त थे पद
गौरतलब है कि सूचना आयुक्तों के पद पर नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 10 सितंबर को चयन समिति की बैठक हुई थी, जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ तीन सूचना आयुक्त के रूप में इनके नामों पर मुहर लगाई गई थी। इनके पदभार संभालने से सूचना के अधिकार के अंतर्गत लगभग पांच माह से लंबित शिकायतों के निपटारे शुरू हो जाएंगे।

यहां पर यह भी बता दें कि प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा दस सूचना आयुक्त के पद स्वीकृत हैं। यानी सात पद अब भी रिक्त हैं। मप्र राज्य सूचना आयोग में लंबे समय के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां हुई हैं।

सबसे पहले विजय यादव ने ली शपथ

समारोह में सबसे पहले विजय यादव को शपथ दिलाई गई। इसके बाद सूचना आयुक्त के रूप में वंदना गांधी, उमाशंकर पचौरी और आखिर में ओमकार नाथ को शपथ दिलाई गई।

सूचना आयुक्त के कुल 11 पद प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा 10 सूचना आयुक्त के पद स्वीकृत हैं, लेकिन कभी पूरे नहीं भरे गए। मार्च 2024 से सभी पद रिक्त हैं, जिसके कारण द्वितीय अपील और शिकायतों पर निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। लगभग 16 हजार मामले लंबित हो चुके हैं

हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका पिछले 5 महीनों से सूचना आयोग में सभी पदों के खाली होने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी। जिसके बाद पिछले सोमवार को नियुक्ति के लिए मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक बुलाई गई थी। इसमें मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए 59 और सूचना आयुक्त पद के लिए प्राप्त 185 आवेदनों पर चर्चा हुई थी। रिटायर्ड स्पेशल डीजी विजय यादव को मुख्य सूचना आयुक्त और उमाशंकर पचौरी (शिक्षाविद), वंदना गांधी (समाजसेवी) और ओमकार नाथ (सेवानिवृत्त जज) का चयन सूचना आयुक्त के लिए हुआ था।

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