बंगाल में कई जातियों का ओबीसी दर्जा खत्म करने वाले हाई कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

कोलकाता
पश्चिम बंगाल में कई जातियों का ओबीसी दर्जा खत्म करने वाले हाई कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस दौरान बंगाल सरकार के वकील ने उच्च न्यायालय पर ही तीखा हमला बोल दिया। ओबीसी कोटे को लेकर बनी जातिवार सूची पर उच्च न्यायालय की तीखी टिप्पणियों पर राज्य सरकार ने ऐतराज जताया। यही नहीं दलीलों के दौरान बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि क्या उच्च न्यायालय ही राज्य को चलाना चाहता है।

बंगाल सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, 'ऐसा क्यों हो रहा है। इसलिए क्योंकि वे मुस्लिम हैं? वे कहते हैं कि ये धर्म का मामला है। जो पूरी तरह से गलत है। यह कहा जा रहा है कि उन लोगों को इसलिए आरक्षण दिया गया क्योंकि वे मुस्लिम हैं। हमारे पास रिपोर्ट्स हैं कि सभी समुदायों पर विचार किया गया है। मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर काम हुआ है। सरकार राज्य चलाना चाहती है। लेकिन अदालत ऐसा करना चाहती है तो फिर करे। आखिर हम क्या कर सकते हैं। कृपया बताएं।' इन दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका पर सुनवाई को लेकर सहमति जताई।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जातियों की पहचान बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग का जिक्र किए बिना हुई। यह दलील है। ऐक्ट को खारिज करने के गंभीर असर हैं। फिलहाल बंगाल में कोई आरक्षण लागू नहीं हो पा रहा है। यह मुश्किल स्थिति है। इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि राज्य में पूरी आरक्षण व्यवस्था ही अटक गई है। दरअसल हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किस जाति को कौन सा दर्जा देना है, यह आयोग का काम है। राज्य सरकार का नहीं है। आयोग 1993 में बना था और राज्य सरकार की ओर से 2012 में ऐक्ट लाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे जाति प्रमाण पत्र मिलेगा और उसका आधार क्या होगा।

 

Related Articles

Back to top button