कद्दावर नेता और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने घोषणा की कि वह भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते

बारामती
कद्दावर नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने घोषणा की कि वह भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उनकी यह घोषणा ऐसे समय आई है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं। बता दें राज्यसभा में उनका कार्यकाल भी समाप्ति की ओर है। गौरतलब है कि शरद पवार तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पवार ने यह बात बारामती में अपनी चुनावी यात्रा के दौरान जनता को संबोधित करते हुए कही जहां वे अपने पोते युगेंद्र पवार के चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे।

शरद पवार का ऐलान- नई पीढ़ी को सौंपेंगे जिम्मेदारी
पवार ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, "मैं अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा। अब तक मैंने 14 चुनाव लड़े हैं, और आप लोगों ने हर बार मुझे विजयी बनाया। अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी को मौका दिया जाए। मैं सामाजिक कार्य जारी रखूंगा, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लिए। इस काम के लिए मुझे किसी चुनाव में जीतने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2026 में राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह सोचेंगे कि क्या उन्हें पद से अलग होना चाहिए।

शरद पवार का केंद्र सरकार पर करारा प्रहार
चुनावी सभा को संबोधित करते हुए शरद पवार ने इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बड़े प्रोजेक्ट्स, जो महाराष्ट्र में आने चाहिए थे उन्हें गुजरात शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा, "जब मैं सत्ता में था, तो मैंने पुणे के विकास पर जोर दिया। पर आज की सरकार सिर्फ एक राज्य के लिए काम कर रही है। टाटा एयरबस का कारखाना जो नागपुर में लगना था, उसे गुजरात भेज दिया गया। इसी तरह वेदांता-फॉक्सकॉन का सेमीकंडक्टर प्लांट भी गुजरात चला गया। अगर आप केवल एक राज्य के लिए काम करेंगे, तो प्रधानमंत्री बनने का क्या मतलब है?"

परिवार में फिर जंग का गवाह बनेगी बारामती की सीट
बारामती में पवार परिवार के बीच एक बार फिर चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। इस बार विधानसभा चुनावों में अजित पवार और उनके भतीजे योगेंद्र पवार आमने-सामने होंगे। इससे पहले लोकसभा चुनाव में अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी ननद सुप्रिया सुले के खिलाफ खड़ा किया था। बारामती की सीट पर चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं, और यह सीट एक बार फिर पवार परिवार के भीतर ही संघर्ष का गवाह बनेगी।

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